
आदरणीय अभिभावक महोदय,
सादर अभिवादन,
आप सभी जानते हैं कि जब बच्चा जन्म लेता है, तभी से उसकी सीखने की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है। परिवार बच्चे की प्रथम पाठशाला है, जहाँ से वह अच्छे संस्कार सीखता है। माँ उसकी पहली गुरु होती है। माता – पिता का यह दायित्व होता है की वह अपने बच्चे को संस्कारवान बनायें। जिससे आपका बच्चा आपको ही अपना मार्गदर्शक और आदर्श मान सके। मेरा मानना है कि यदि आप निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें तो आपका बच्चा भी संस्कारवान हो सकता है –
- अपने बच्चे में यह संस्कार पैदा करें कि वह ईश्वर में विश्वास रखे। ईश्वर में आस्था रखने से सही काम करने की प्रेरणा मिलती है। उसको यह विश्वास दिलाइये की ईश्वर सब कुछ देखता है. हमें अच्छे कर्म करना चाहिए।
- प्रत्येक बच्चे को बचपन से ही यह शिक्षा मिलनी चाहिए की वो अपने माता – पिता का सम्मान करे क्योंकि माता-पिता ही उसके मार्गदर्शक होते हैं। अपने बच्चे को अपनी वास्तविक स्थिति के बारे में अवश्य बताएं, जिससे वह आपका सम्मान करेगा। अपने बच्चों को आदर्श और वीर बच्चों की कहानियाँ सुनायें (जैसे श्रवण कुमार की कहानी) और पढ़ने के लिए प्रेरित करें।
- आप अपने बच्चे को शुरू से ही सत्य बोलने के लिए प्रेरित कीजिये. अपने बच्चों के अंदर ईमानदारी की आदत डालिए. उनको यह बताइये कि सत्य और ईमानदारी के रास्ते पर चलकर ही आगे बढ़ा जा सकता है क्योंकि ईमानदारी की नीव बहुत मजबूत होती है। इसके लिए आप उसे किसी कहानी के माध्यम से भी समझा सकते हैं। जैसे राजा हरिश्चंद्र की कहानी।
- आपको अपने बच्चे के अंदर सहयोग और दूसरों की मदद करने की भावना का संचार करना चाहिए। यह आदत बचपन से ही पड़नी चाहिए। माता-पिता होने के नाते आप अपने बच्चे को बचपन से ही समझाइये कि परिवार में सभी काम एक दूसरे की मदद से ही संभव है। घर में जितने भी सदस्य हैं उनके कार्य क्षमता के अनुसार सभी काम बाट दें जिससे उसको जिम्मेदारी का अहसास होगा और धीरे – धीरे एक दूसरे की मदद करना उसके आदत में शामिल हो जाएगा और वह बाहर वालों के साथ भी यही व्यवहार करेगा।
- आप अपने बच्चे में यह संस्कार डालिए कि वह कर्तव्यनिष्ठ हो। प्रत्येक व्यक्ति का अपने परिवार के प्रति, देश के प्रति, समाज के प्रति, अपने गुरु के प्रति, अपने स्कूल के प्रति अलग – अलग कर्तव्य होते हैं जिसे उसे निभाना पड़ता है।
- प्रत्येक बच्चे के अंदर यह नैसर्गिक गुण होना चाहिए की वो सभी के साथ प्रेम से रहे। आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना के बल पर वह अपने परिवार, विद्यालय और समाज में प्रतिष्ठित स्थान पा सकता है। उसे सभी के प्रति सहानभूति और करुणा की भावना भी रखनी चाहिए।
- प्रत्येक बच्चे के अंदर देश भक्ति की भावना होनी चाहिए। बचपन से ही बच्चे के अंदर यह संस्कार डाले की उसका सबसे पहला कर्त्तव्य अपने देश के प्रति है. उसके अंदर देश के प्रति समर्पण की भावना होनी चाहिए। उसे प्रत्येक पल अपने देश के प्रति सेवा करने के लिए तत्पर होना चाहिए. देश – भक्ति की कविता और कहानियाँ सुनाये। आदर्श व्यक्तियों के जीवन – चरित्र के बारे में जानने के लिए जागरूक करे।
- आज – कल के दौर में बच्चों के पास सहनशक्ति का अभाव है, इसलिए माता -पिता होने के नाते आप अपने बच्चे के अंदर सहनशक्ति रखने की आदत डालें क्योंकि उसके आगे के जीवन के लिए यह गुण होना आवश्यक है। उसको यह सिखाएं की छोटी-छोटी बातों पर वह उग्र न हो.
- अपने बच्चों को घर के बड़े-बुजुर्गों की इज़्ज़त करना सिखाएं, उनकी सेवा करना, उनकी बात मानना, उनकी मदद करना तथा उनका सम्मान करना उनको आना चाहिए।
हम आपके बच्चे को संस्कारयुक्त शिक्षा देने के लिए संकल्पित हैं. यदि आपका अपेक्षित सहयोग हमें मिलता है तो, हमे पूरा विश्वास है कि, आपका बच्चा इस विद्यालय से बौद्धिक, नैतिक एवं सांस्कृतिक रूप से समृद्ध होकर निकलेगा ।
पुनः आप सभी का आभार.
डॉ० उमेश कुमार सिंह
प्रधानाचार्य