यह विद्यालय पवित्र काशी नगरी के मध्य पवित्र सलिलवाहिनी सुरसरि के पावन प्रवाह स्थल, मैदागिन के समीप अवस्थित है। विद्यालय के समीप विघ्न विनाशक बुद्धि प्रदाता श्री बडा गणेश जी का ख्याति प्राप्त मन्दिर है, जिनकी कृपा के फलस्वरूप विद्यालय निरन्तर प्रगति के पथ पर विकासोन्मुख है। विद्यालय काशी के मध्य खण्ड मध्यमेश्वर के सन्निकट है, जिनकी कृपा के फलस्वरूप विद्यालय परिवार के सभी लोग सुखद एवं मंगलमय जीवन व्यतीत करते हैं।

हम सभी जानते हैं कि किसी भी राष्ट्र और समाज के उत्थान में शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान होता है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी ने मात्र 16 वर्ष की अवस्था में सन् 1866 में अपने चौखम्भा स्थित निवास पर मुहल्ले के 5 छात्रों को लेकर एक प्राथमिक पाठशाला की स्थापना की। सर्वप्रथम इसका नाम ”चौखम्भा स्कूल” था। तदुपरान्त ”चौक स्कूल” और अन्ततः गोलोकवासी संस्थापक के स्मारक के रूप में इसका नाम ”श्री हरिश्चन्द्र स्कूल” रखा गया। इस संस्था का सदैव उद्देश्य रहा है कि अभावग्रस्त और मेघावी छात्र/छात्राओं को अच्छी शिक्षा की व्यवस्था करके क्षेत्र और समाज का विकास करें।